घड़ी रिपेयरिंग से सियासत तक, बिहार में बाबा सिद्दीकी के गांव वालों ने कुछ यूं याद किया

गोपालगंज: '15 सितंबर को गांव आने वाले थे लेकिन किसी कारण वश नहीं आ पाए थे। चार दिन पहले उनसे बात हुई थी, कहे थे की महाराष्ट्र के चुनाव होने के बाद जरूर आऊंगा।' बाबा सिद्दीकी की पहचान भले ही मुंबईकर के तौर पर रही, मगर उनकी जड़ें बिहार में थीं। गो

4 1 5
Read Time5 Minute, 17 Second

गोपालगंज: '15 सितंबर को गांव आने वाले थे लेकिन किसी कारण वश नहीं आ पाए थे। चार दिन पहले उनसे बात हुई थी, कहे थे की महाराष्ट्र के चुनाव होने के बाद जरूर आऊंगा।' बाबा सिद्दीकी की पहचान भले ही मुंबईकर के तौर पर रही, मगर उनकी जड़ें बिहार में थीं। गोपालगंज जिले के मांझागढ़ प्रखंड के शेख टोली में आज भी उनका पुश्तैनी घर आबाद है। अब्दुल रहीम सिद्दीकी के बड़े बेटे बाबा सिद्दीकी अपने पैतृक गांव आते थे। मुंबई में उनकी हत्या से मांझागढ़ के शेख टोली के लोग भी गमजदां हैं।

बाबा सिद्दीकी का बिहार कनेक्शन


बाबा सिद्दीकी की हत्या के सूचना पर उनके पुश्तैनी घर (शेख टोली) पर मीडिया वालों का आना-जाना लगा हुआ है। बाबा सिद्दीकी के रिश्ते के भतीजे मोहम्मद गुरफान ने बताया कि 'बिहार के 38 जिलों में शिक्षा से वंचित बच्चों के लिए निःशुल्क शिक्षा केंद्र की स्थापना बाबा सिद्दीकी ने किया है। इसमें 12 से 13 हजार बच्चे शिक्षा प्राप्त करते हैं। प्रत्येक सेंटर पर 300-400 बच्चों का एडमिशन है। पिछले 15 सितंबर को सेंटर के निरीक्षण के लिए गांव आने वाले थे। चार दिन पहले उनसे बात हुई थी, वे कहे थे की महाराष्ट्र चुनाव होने के बाद आऊंगा।


दरअसल, बाबा सिद्दीकी शेख टोली के अपने घर पर 2008 में आए थे तो अपने पिता अब्दुल रहीम के नाम पर ट्रस्ट बनाए थे। इसके जरिए बिहार में 40 चैरिटेबल संस्थाओं का संचालन हो रहा है। इनमें दबे, कुचले और गरीब परिवार के बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग कराई जाती है। गोपालगंज में इस ट्रस्ट के तहत तीन संस्थाओं का संचालन फिलहाल किया जा रहा है।


वाॉच रिपेयर से पॉलिटिक्स तक


बाबा सिद्दीकी के भतीजे मोहम्मद गुफरान ने की मानें तो तकरीबन 50 साल पहले बाबा सिद्दीकी का पूरा परिवार मुंबई शिफ्ट हुआ। बाबा सिद्दीकी के पिता अब्दुल रहीम मुंबई में वॉच मेकर (घड़ी रिपेयरिंग) का काम करते थे। बाबा सिद्दीकी भी अपने पिता के काम में हाथ बंटाते थे। पढ़ाई के साथ-साथ बाबा सिद्दीकी भी घड़ी रिपेयरिंग का काम करने लगे। मगर, उनका मन घड़ी रिपेयरिंग के काम में ज्यादा लगा नहीं।


Baba Siddiqui: दो टके का अपराधी.. 24 घंटे की मोहलत! बाबा सिद्दीकी हत्याकांड पर पप्पू यादव दिया लॉरेंस बिश्नोई को चैलेंज
राजनीति में बाबा सिद्दीकी ने एक स्टूडेंट लीडर के तौर पर एंट्री ली। फिर पार्षदी चुनाव में किस्मत आजमाए और कामयाबी हासिल की। 1977 में बाबा सिद्दीकी ने एनएसयूआई जॉइन किया। 1980 में बांद्रा यूथा कांग्रेस महासचिव, 1982 में बांद्रा यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष बन गए। फिर 1988 में मुंबई युवा कांग्रेस के अध्यक्ष बने।


बाबा सिद्दीकी का बेटा फिलहाल MLA


बाद में बाबा सिद्दीकी मुंबई के बांद्रा वेस्ट से तीन बार के विधायक रहे और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री भी रहे। पहली बार 1999 में कांग्रेस के टिकट पर बांद्रा वेस्ट सीट से एमएलए बने। उनके लिए यह जीत बहुत महत्वपूर्ण थी। इसके बाद बाबा सिद्दीकी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। 2014 तक लगातार तीन बार इसी सीट से विधायक रहे। 2004 से 2008 तक महाराष्ट्र सरकार में खाद्य और श्रम राज्य मंत्री भी रहे।


कहा जाता है कि बाबा सिद्दीकी को राजनीति में लाने में कांग्रेस नेता सुनील दत्त का बड़ा हाथ था। उन्होंने ही बाबा सिद्दीकी को पहली बार टिकट दिलाने में मदद की थी। अपने परिवार में तीन भाइयों में सबसे बड़े हैं। उनकी तीन बहनें भी हैं। बाबा सिद्दीकी का एक बेटा और एक बेटी है। उनका बेटा फिलहाल बांद्रा ईस्ट से विधायक हैं।


सलमान से दोस्ती बनी मौत की वजह?


सुनील दत्त से बाबा सिद्दीकी का गुरु-चेला वाला रिश्ता होने की वजह से संजय दत्त से नजदीकियां बढ़ी। फिर संजय दत्त ने सलमान खान से परिचय कराया। इसके बाद बाबा सिद्दीकी की बॉलीवुड के सितारों में ऐसी पैठ बनी की, एक कॉल पर बाबा सिद्दीकी की पार्टी में कोई भी आने को तैयार रहता था। मीडिया रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि सलमान खान का समर्थन करना बाबा सिद्दीकी की मौत का कारण बना। बॉलीवुड एक्टर सलमान खान को खुले तौर पर लॉरेंस बिश्नोई गैंग से खतरा है।


वैसे, राज़ की बात ये भी है कि बाबा सिद्दीकी सियासत में किस्मत आजमाने से पहले जियाउद्दीन सिद्दीकी हुआ करते थे। छात्र राजनीति के दिनों में कुछ दोस्तों ने उनको 'बाबा' कहकर बुलाना शुरू किया तो उन्होंने अपनी पहचान ही 'बाबा सिद्दीकी' के तौर पर बना ली।

\\\"स्वर्णिम
+91 120 4319808|9470846577

स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.

मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Laptops | Up to 40% off

अगली खबर

IPL 2025, Mumbai Indians: हार्दिक पंड्या को कप्तान बनाने वाले कोच मार्क बाउचर की छुट्टी, महेला जयवर्धने संभालेंगे मुंबई इंडियंस की कमान

आपके पसंद का न्यूज

Subscribe US Now